प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने दो अहम सैन्य सौदों – रूस से S-400 ट्रायंफ मिसाइल डिफेंस सिस्टम और फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान – को सफलतापूर्वक पूरा किया, वो भी तब जब अंतरराष्ट्रीय दबाव और देश के भीतर राजनीतिक बहस जोरों पर थी। आज यही दोनों हथियार पाकिस्तान से मिल रही चुनौतियों के खिलाफ भारत की रक्षा रणनीति के मुख्य आधार बन चुके हैं।
Strategic Gambit: S-400 Missile Defense System(S-400: रणनीतिक सुरक्षा कवच)
2018 में रूस से करीब 5.4 अरब डॉलर की लागत से S-400 डील पर हस्ताक्षर करना भारत के लिए एक साहसिक फैसला था। अमेरिका ने इस सौदे का विरोध किया और CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) कानून के तहत प्रतिबंधों की चेतावनी दी। इससे पहले अमेरिका ने तुर्की पर भी इसी सिस्टम को खरीदने के लिए प्रतिबंध लगाए थे।
लेकिन मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए दबाव के आगे झुकने से इनकार कर दिया। भारत ने स्पष्ट किया कि वह अपनी रणनीतिक स्वायत्तता से समझौता नहीं करेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है और हमारे निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा हितों से प्रेरित हैं
S-400 सिस्टम से भारत को वायु रक्षा में एक बड़ी बढ़त मिली है। यह सिस्टम 400 किलोमीटर तक की दूरी से दुश्मन के विमान, ड्रोन और मिसाइलों को ट्रैक और नष्ट करने में सक्षम है।

Fast-Tracked Fighter Jets: The Rafale Deal(राफेल: तेज़ निर्णय से मिला हवाई बढ़त)
राफेल विमान की खरीद प्रक्रिया वर्षों तक चली और कई अड़चनों से गुजरी। मूल रूप से भारत को 126 राफेल विमान चाहिए थे, जिनमें से अधिकांश को Hindustan Aeronautics Limited (HAL) के साथ भारत में बनना था। लेकिन लंबी बातचीत और सरकारी प्रक्रिया के कारण यह योजना अटक गई।
2015 में पीएम मोदी ने पेरिस में एक नई पहल करते हुए 36 राफेल विमानों की सीधे खरीद की घोषणा की। यह सरकार से सरकार के बीच सीधा सौदा था, जिससे समय की बचत हुई और भारतीय वायुसेना को आधुनिक विमान समय पर मिल सके।
हालांकि इस सौदे को लेकर देश में राजनीतिक विवाद हुआ, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में इसे वैध करार दिया। राफेल विमान आधुनिक रडार, लंबी दूरी की Meteor मिसाइल और उन्नत एवियोनिक्स के साथ भारत की हवाई शक्ति को नई ऊंचाई पर ले गए।
Strategic Edge Against Pakistan(पाकिस्तान के खिलाफ रणनीतिक बढ़त)
पाकिस्तान ने भी हाल के वर्षों में अपनी रक्षा क्षमताओं में इज़ाफा किया है – जिसमें चीन से मिले J-10C फाइटर जेट्स और HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम शामिल हैं। ऐसे में भारत के लिए S-400 और राफेल जैसे हथियारों का होना अत्यंत आवश्यक हो गया है।
जहां S-400 दुश्मन के हवाई हमलों को दूर से ही निष्क्रिय करने में सक्षम है, वहीं राफेल भारतीय वायुसेना को तेज, कुशल और घातक जवाबी कार्रवाई की शक्ति देता है।
निष्कर्ष
अंतरराष्ट्रीय दबाव और घरेलू राजनीतिक विवादों के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी का यह निर्णय देश की रक्षा नीति में दूरदर्शिता का परिचायक है। S-400 और राफेल जैसे अत्याधुनिक हथियारों के जरिए भारत ने न केवल अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत किया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।